क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन के बीच में क्या अंतर होता हैं

क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन के बीच में क्या अंतर होता हैं – कुछ समय पहले भारत सहित पूरी दुनिया ने चीन से निकले हुए एक वायरस कोविड-19 के कहर का सामना किया जिसके चलते काफी सारे नए शब्द हमारे सामने आए जो वर्तमान समय में रोजाना की बातों का हिस्सा बन चुके हैं और उन्हें शब्दों में से दो मुख्य शब्द क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन है।

जहां कुछ समय पहले तक इन शब्दों के बारे में काफी कम लोग जानते थे तो आज के समय में यह शब्द काफी ज्यादा प्रचलन में है लेकिन कई बार लोग क्वारंटाइन और आइसोलेशन के बीच में कंफ्यूज हो जाते हैं क्योंकि उन्हें को रनटाइम और आइसोलेशन के बीच का अंतर नहीं पता। इस लेख में हम ‘क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन के बीच में क्या अंतर होता है’ के विषय पर आसान भाषा में बात करेंगे।

क्वॉरेंटाइन का मतलब क्या होता है?

क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन के बीच के अंतर को सटीक रूप से समझने के लिए सबसे पहले आपको इन दोनों का मतलब जानना होगा तो चलिए पहले क्वारेंटाइन के बारे में बात करते हैं। क्वॉरेंटाइन शब्द का उपयोग तक के जाता है जब किसी व्यक्ति या समूह पर कोरोना या फिर किसी भी बीमारी के संक्रमण में होने का शक होने पर अन्य लोगों से अलग किया जाता है। क्वॉरेंटाइन के दौरान जो व्यक्ति क्वॉरेंटाइन किया जाता है उसे घर या फिर उसी जगह पर अन्य लोगों से थोड़ा अलग रहना पड़ता है जिससे कि अगर उसे संक्रमण हो तो वह अन्य लोगों तक ना पहुँचे। सरल भाषा में संक्रमण की आशंका होने पर या फिर संक्रमण से बचने के लिए क्वॉरेंटाइन किया जाता।हैं हैं।

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आइसोलेशन का मतलब क्या होता हैं?

क्वारंटाइन के बारे में हम आपको पर्याप्त जानकारी दे चुके हैं तो चलिए अब आइसोलेशन के बारे में जान लेते हैं जिससे की आप आसानी से ‘आइसोलेशन और क्वारंटाइन के बिच के अंतर’ को समझ सको। जब व्यक्ति कोरोना या फिर इस तरह की फैलने वाली किसी बीमारी से संक्रमित हो जाता हैं तो उसे आइसोलेशन में रखा जाटा हैं। यह क्वारंटाइन के मुकाबले काफी सख्त होता हैं क्युकी इसमें कन्फर्मेशन होती हैं की व्यक्ति को फैलने वाली बीमारी है तो ऐसे काफी अधिक सम्भावना होती है की वह बीमारी उस व्यक्ति से दूसरे लोगो में ना फ़ैल जाये। आइसोलेशन में संक्रमित व्यक्ति को हॉस्पिटल या फिर घर में एक स्पेसिसिक रूम में रखा जाता है और जब तक आवश्यकता ना हो, उसके पास किसी को जाने की अनुमति नहीं होती।

क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन में क्या अंतर होता है?

इस लेख में हम आपको क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन के बारे में पर्याप्त जानकारी दे चुके हैं तो उम्मीद है कि आप समझ चुके होंगे कि यह दोनों के होते हैं तो चलिए अब ‘क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन के बिच में क्या अंतर होता है’ कि विषय पर बात करते हैं। कवारन्टाइन जहा एक तरफ कोविड या किसी भी फैलने वाली बीमारी की सम्भावना होने पर या फिर उससे बचाव के लिए किया जाता है तो वही दूसरी तरफ आइसोलेशन में यह कन्फर्मेशन होती है की व्यक्ति को बीमारी हैं तो ऐसे में क्वारंटाइन आइसोलेश के मुकाबले थोड़ा सॉफ्ट हो सकता हैं। कई मामलो में लोगो को क्वारंटाइन में रखने के बाद जब कन्फर्म हो गया की उन्हें बीमारी है तो फिर उन्हें आइसोलेशन में रखा जाता है जब तक की उनकी बीमारी ठीक न हो जाये।

कई बार जब संक्रमण की आशंका होती है तो जांच कराइ जाती है तो जब तक जांच के रिजल्ट नहीं आ जाते तब तक के लिए संक्रमण की आशंका वाले व्यक्ति या समूह को क्वारंटाइन का दिया जाता हैं। अगर रिपोर्ट पॉजिटव निकलती है तो सब ठीक रहता है और अगर नेगेटिव आती हैं तो उसे आइसोलेशन में रखा जाता है और जब तक वह ठीक नहीं होता तब तक उसके इलाज की प्रक्रिया चलती हैं। क्वारंटाइन के लिए एक स्पेसिफिक टाइम लिमिट निर्धारित हो सकती है लेकिन आइसोलेशन के मामले में जब तक व्यक्ति ठीक नहीं हो जाता तब तक उसे अन्य लोगों से अलग रखा जाता है और उसका उपचार चलता है।