Yogini Ekadashi Katha योगिनी एकादशी की पौराणिक कथा और एकादशी माता की आरती: आज सोमवार का दिन है और शिव पूजन के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है आज योगिनी एकादशी है हिंदू धर्म में इसका बहुत बड़ा महत्व है और हिंदू धर्म में एकादशी की बहुत महिमा मानी जाती है|
योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है| योगिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है| विष्णु भक्त के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है| इस दिन विष्णु जी के भगत पूजा-पाठ और अर्चना करते हैं| और कथा पड़ते हैं इस कथा के बिना योगिनी एकादशी का व्रत अधूरा होता है|
योगिनी एकादशी व्रत कथा:योगिनी एकादशी की पौराणिक कथा
कथाओं के अनुसार अलंकापुरी नगरी में एक राजा रहता था जिसका नाम कुबेर था कुबेर भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और वह हर रोज भगवान शिव की पूजा अर्चना किया करता था कुबेर के बगीचे में एक माली था जिसका नाम था और वह हर रोज भगवान शिव की पूजा के लिए राजा को फूल ला कर देता था| माली की एक पत्नी थी .
जिसका नाम विशाल लक्षिता था जो अत्यंत सुंदर थी और अभी भी राज महल के अंदर नहीं गई थी| 1 दिन माली फूल लेकर राज महल में नहीं आया तब राजा ने अपने सैनिकों को उसको बुला कर लाने का आदेश दिया और उसके बाद सैनिकों ने लौटकर राजा को बताया कि माली बहुत पापी है और बहुत अत्याचारी है वह अपनी पत्नी के साथ वाद-विवाद कर रहा है यह बहुत क्रोधित हो गया और माली को तुरंत यहां पर लाने का आदेश दिया|
इसके बाद से का पता हुआ राज महल के अंदर पहुंचा वहां पर पहुंचने के बाद राजा ने उसे बहुत खरी-खोटी सुनाई और शराब दिया कि तू योग के लिए तरसेगा और उसके बाद हेमाली नरक में भटकता रहा वह बुक प्यासे बहुत व्याकुल हो गया और उसने बहुत कष्ट है उसके बाद वह एक ऋषि के आश्रम में गया और वहां पर जाकर उसने अपनी सारी कहानी बताई तब ऋषि ने बताया,
कि तुम पूरे विधि विधान से एकादशी का व्रत करो तो तुम्हारा सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और उसके बाद वह उन्हें धन्यवाद बोल कर वहां से निकल गया वह पूरे विधि विधान के साथ एकादशी का व्रत किया और उसके बाद वह नरक में जाकर अपनी पत्नी के साथ रहने लगा और उसके सारे कष्ट दूर हो गए|
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एकादशी माता की पावन आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।
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5h JULY Panchang,Daily Panchang
पंचांग
दिन- सोमवार
तिथि- एकादशी
महीना- आषाढ़, कृष्ण पक्ष
आज व्रत करने से रोग दूर होते हैं
सुबह 11:46 से दोपहर 12:16 तक शुभ काम का समय है.